Table of Contents
राजस्थान के राजसमंद में 600 साल पुराना Kumbhalgarh Fort। भारत के विशाल किलो में से एक है। समुंद्री तल से ११०० मीटर ऊचाई पर बसा एक किला है यह राजस्थान में स्थित सारे किलो में सबसे ऊचाई पर बना है। दुनिया के सबसे बड़े किले परिसरों में माने जाने वाला यह किला सुसोदिया राजपूत द्वारा सुरक्षा के लिए बनाया गया है। 3,600 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह किला 38 किलोमीटर लंबी दीवार से घिरा हुआ है यह चीन की दुवारो के बाद ये विश्व की दूसरी लम्बी दीवार है।

किला का निर्माण (Kumbhalgarh Fort)
इस किले का निर्माण महाराणा कुम्बा ने करवा या था। यह किला 15 साल में बन गया था इस किले में सिसोदिया वंश के सुरवीर योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। इस किले को महाराणा प्रताप के जन्म के नाम से भी जाना जाता है। उस जमाने के प्रसीद वास्तुकार मंडान द्वारा बनाये गए इस किले को ऐसे सुरक्षा एवं सुंदरता दी गए है। हम आज भी कल्पना नहीं कर सकते है। यहाँ के बादल महल में बनी ें बेहद खूबसूरत पेंटिंग्स बनाने की लिए सब्जियों का इस्तेमाल किया गया था। जब महाराणा कुम्बा इस महल का निर्माण करने के लिए दिन में दीवारे बनवाते थे। वह रात को टूट जाती थी।
महल के अंदर मंदिर (Kumbhalgarh Fort)
यहाँ पर कुल 360 जेन मंदिर व् हिन्दू मंदिर थे। अब यहाँ 70 मंदिर ही बचे है उन मंदिरो में एक मंदिर की पूजा की जाती है और वह मंदिर भगवान् शिव का मंदिर है। इसके अंदर पांच फिट का शिवलिंग है। यह शिवलिंग इतनी बड़ी है की यहाँ लोग खड़े होके जल अभिषेक कर थे है पर महाराणा कुम्बा का कद इतना लम्बा था की वह जमीन पर बैठकर शिवलिंग पर जल अभिषेक करते थे। यहाँ एक गणेश मंदिर के पीछे एक यज साला थी /यह मेवाड़ के देवी देवताओ को प्रसन करने के लिए यज करते थे। गणेश मंदिर के पास कृष्ण भगवान् के लये बनाया गया लक्मी नारायण मंदिर है।
किले के दरवाजे (Kumbhalgarh Fort)
इस मंदिर में कुल 7 दरवाजे है। 1 अरैत पोल, 2 हल्ला पोल, 3 हनुमान पोल, 4 राम पोल, 5 भैरों पोल, 6 नींबू पोल,7 पघड़ा दरवाजा है इन दरवाजो पर बड़े बड़े नुकीले खिले लगे हुए है। क्युकी जब महल पर हमला करते थो हाथी से दरवाजे नहीं थोड़ सकते थे।
बादल महल का निर्माण (Kumbhalgarh Fort)
19 शताब्दी में मेवाड़ में महाराणा बनने थे। फतहे सिंह जी इस किले के ऊपर के हिसे में एक महल का निर्माण करवाया था जिसको कहा जाता है बादल महल यहाँ पर बारिश के समय चोरो पर से बदलो से गिरा रहता है।
इस किले पर एक बड़ी पानी की टंकी बनी हुए है। जो पानी का काल होता थो उस वक्त इस पानी का इस्तेमाल किया जता था इस पहाड़ी पर ऊंटो से पानी के ले जाया करते थे। महल की दीवारों पर छोटे छोटे छेद से बारिश का पानी वह से फ़िल्टर होक उस टैंक में जाता था
महल का वातावरण (Kumbhalgarh Fort)

अरावली की ऊँचाइयों पर बसा कुम्भलगढ़, केवल एक किला नहीं बल्कि प्रकृति की गोद में बसी एक जीवित धरोहर है।यहाँ का वातावरण शुद्ध, शांत और आत्मा को स्पर्श करने वाला होता है, जहाँ हर सांस सुकून देती है।किले के चारों ओर फैले घने जंगल और हरियाली इसे एक प्राकृतिक किला बनाते हैं।ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यहाँ का तापमान सर्दियों में मनमोहक और गर्मियों में राहतभरा होता है।
मानसून में जब बादल पहाड़ियों से टकराते हैं, तो पूरा कुम्भलगढ़ एक स्वर्गिक दृश्य बन जाता है।यहाँ की हवा में प्रदूषण नहीं, बल्कि इतिहास और हरियाली की सुगंध होती है।कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य इस क्षेत्र की जैव विविधता का जीवंत प्रमाण है।पक्षी प्रेमियों और प्रकृति के चाहने वालों के लिए यह स्थान किसी वरदान से कम नहीं।पर्यावरणीय दृष्टि से यह क्षेत्र राजस्थान के सबसे संतुलित और समृद्ध क्षेत्रों में गिना जाता है।यहाँ का वातावरण ध्यान, योग और आत्मिक शांति के लिए आदर्श माना जाता है।कुम्भलगढ़ का वायुमंडल सिर्फ शरीर नहीं, आत्मा को भी ऊर्जा से भर देता है।किले के चारों ओर फैले घने जंगल और हरियाली इसे एक प्राकृतिक किला बनाते हैं।
इस महल को देखने जरूर आये और इस महल को सुनने से ज्यादा देखने में मजा है। और महल बहुत बड़ा है।
Read More….राजस्थान में सबसे बेहतरीन रिसॉर्ट्स किन किन जगहों पर है और वह की सर्विसेज किसी है।