More
    HomeBlogउदयपुर जिले में बसी है यह सबको आकर्षित करने वाली Gogunda तहसील।...

    उदयपुर जिले में बसी है यह सबको आकर्षित करने वाली Gogunda तहसील। जानिए ऐसा क्या है इस शहर में।

    अरावली की पहाड़ियों में बसी Gogunda तहसील।
    राजस्थान राज्य के उदयपुर जिले का एक शहर और तहसील मुख्यालय हे। गोगुन्दा तहसील का पिन कॉड 313705 हे। गोगुन्दा की पहाड़िया का खूबसूरत नजारा मानसून के सीज़न में काफी ज्यादा आकर्षित करता हे। गोगुन्दा तहसील आरावली की पहाड़ियों की उचाई पर बसा हे। गोगुन्दा तहसील तक पहुंचने के लिए कठिन पहाड़ी दर्रो को पर करना पड़ता हे। गोगुन्दा तहसील उदयपुर जिले से उत्तर-पश्चिम में लगभग 35 किमी (22 मील) की दूरी पर स्थित हे। गोगुन्दा तहसील का तहसील मुख्यालय गोगुन्दा में ही बना हुआ हे।

    Also Visit :- (Nimbahera तहसील) निम्बाहेड़ा का नाम यहां बहने वाली एक नदी निबा के नाम पर रखा गया हे।

    Geographical Condition of Gogunda / Gogunda की भौगोलिक स्थिति

    गोगुन्दा तहसील में 45 पंचायते में 232 गांव निवास करते हे। गोगुन्दा की ज्यादा तर आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती हे। गोगुन्दा तहसील का फैलाव 1009 वर्ग किलोमीटर हे। Gogunda Tehsil अपनी सिमा पाली जिले ,राजसमंद जिले ,कोटड़ा तहसील ,गिर्वा तहसील ,झाड़ोल तहसील से साजा करता हे। गोगुन्दा से दो राष्ट्रीय राज मार्ग होकर गुजरते हे राष्ट्रीय राज मार्ग संख्या 27 और राष्ट्रीय राज मार्ग 32 हे जो की यह की आवा जाही का मुख्य मार्ग हे। गोगुन्दा तहसील में सामन्य बारिश 600 से 700 mm होती हे और साल भर में 33 दिन औसत वर्षा होती हे।

    Gogunda Palace hotel – गोगुन्दा का मुख्य आक्रषण

    Gogunda-Palace

    गोगुन्दा का मुख्य आक्रषण Gogunda fort udaipur है। Gogunda fort history के अनुसार इस का निर्माण 1567 में मेवाड़ शाशन की दौरान कराया गया था। इस महल को सं 1700 में एक शाही होटल की रूप में विकसित किया गया। इस होटल में रुकने का आनंद लेने की लिए लोग दूर दूर से आते हे।

    यहां रुकने का एक अलग ही अहसास हे। यहां क़े गर्दन और महल की छत का नजारा काफी शानदार देखने को प्रतीत होता हे। उदयपुर आने वाले को वास्तव में इस शांत संपत्ति का अनुभव करना चाहिए। यहाँ की हर एक चीज का लक्ज़री है। इस पैलेस को काफी सुंदरता के साथ बनाया गया है इस पैलेस को चमकीले रंग, संगमरमर, लकड़ी और पत्थर की सजावट के साथ पूर्ण रूप से बनवाया गया था।

    Population of Gogunda / गोगुन्दा की जनसंख्या

    गोगुन्दा तहसील की ज्यादातर जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती हे। 2011 की जनगणना के अनुसार गोगुन्दा तहसील की जनसंख्या 2,14,948 है, जिसमें 1,09,673 पुरुष (51%) और 1,05,275 महिलाएं (49%) शामिल हैं। तहसील की 96% आबादी ग्रामीण है और तहसील की साक्षरता दर 42% है गोगुन्दा तहसील का लिंगानुपात दर काफी अच्छी मानी जाती हे। गोगुन्दा तहसील में आमतौर पर बोली जाने वाली भाषा मेवाड़ी और हिंदी हे। हिंदी और मेवाड़ी भाषा को मात्र भाषा मानने का रेशो समान माना जाता हे। गोगुन्दा तहसील की ज्यादातर आबादी अनुसूचित जनजाति से आती हे।

    Maharana Pratap की राजधानी और राज तिलक

    मेवाड़ के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध स्थान के नाम में गोगुन्दा को शामिल किया जाता हे। गोगुन्दा का इतिहास बहुत ही भाव पूर्ण हे माना जाता। Maharana Udai Singh की मोत और महारणा प्रताप का राज तिलक गोगुन्दा की पहाड़ियों में ही हुआ।

    गोगुन्दा मेवाड़ में मुगलो का आना और चित्तोड़ किले का घेराव किया गया तब महाराणा उदय सिंह जी को चित्तोड़ के किले को छोड़ना पता था। महाराण उदय सिंह जी ने जब चित्तोड़ छोड़ा तब आपने परिवार तथा मंत्रियो सहित गोगुन्दा को अस्थाई राजधानी बनाई। अपनी नई राजधानी से संकल्प लिया की जब तक चितोड़ पुनः मुगलो से नहीं ले लेते तब तक के लिए यही रहेंगे। कुछ समय पश्चात सन 1572 में महारणा उदय सिंह जी की मृत्यु हो गई। महाराणा उदय सिंह जी की मृत्यु के बाद मरना प्रताप का राज तिलक कर इन्हे मेवाड़ का उत्तरादिकारी बनाया। महाराणा प्रताप की राजतिलक की रचना झाला राजपूत के राजपुरोहित मसलिया रावल ने की थी।

    Battle of Haldighati / हल्दी गाटी का युद्ध

    राज्यअभिषेक के बा महाराणा प्रताप और मुग़ल सेना का नेतृत्व कर रहे जयपुर के मानसिंह के मद्य 1576 को हल्दी गाटी का भीषण यद्ध गोगुन्दा के क्षेत्र में ही हुआ इस यद्ध में महाराणा प्रताप का गोधा चेतक मातृ भूमि की रक्षा करते हुहे वीर गति को प्राप्त हुआ। युद्ध का परिणाम बेनतीजा रहा।

    पिछली शताब्दी की बात करे तो यह राजपूत राजा झाला कबीले का शासन था सम्पति मेवाड़ रिहासत का हिंसा था। झाला परिवार उस रियासत के प्रमुख जमींदार बैरन में से एक था। इस शासन में 75 गांव आते थे। झाला राज परिवार के पास सन 1901 में 7,708 की आबादी और 24,000 रुपये का राजस्व भी शामिल था।

    गोगुन्दा की तहसील का गठन 1951-61 की अवधि में किया गया था, जो पूर्व की पूरी सायरा तहसील के गाँवों, फलसिया तहसील के एक गाँव और गिरवा तहसील के दो गाँवों (सायरा और फलासिया की तहसीलें अब अस्तित्व में नहीं हैं) से बनी थी। [4] 2012 में, सायरा को गोगुन्दा की उप-तहसील घोषित किया गया था।

    Mandir of Gogunda / गोगुन्दा के मंदिर

    गोगुन्दा में बहुत से प्रसिद्ध मंदिर में। गोगुन्दा तहसील हिन्दू और जैन मंदिरो से भरा हुआ हे। गोहन्दा में 3 जैन मंदिर और कई सारे हिन्दू मंदिर हे। हिन्दू मंदिरो में मुख्य यहां शिव मंदिर, एक चारभुजा मंदिर, एक हनुमानजी का मंदिर श्रदा का केंद हे। माना जाता हे की यहां स्थित जैन मंदिर 600 वर्ष हे ज्यादा पुराने हे। यहां बने मंदिर की वास्तु कला और शिल्प कारी काफी दार्शनिक हे। गोगुन्दा तहसील का पास का एक गांव मजवरी जहा 1100 साल पुराना जैन मंदिर आज भी उसी स्थिति में दिखाई पड़ता हे। गोगुन्दा तहसील में एक जैन मंदिर भगवान पार्श्वनाथ का विशाल प्रतिष्ठा महोत्सव साल 2018 में आयोजित किया गया।

    गोगुन्दा में कई ऐतिहासिक स्मारक हे। यहां प्रमुख महाराणा प्रताप राजतिलक स्थल, महाराणा उदय सिंह जी की छतरी और पूर्व जागीदार राजपूत झाला परिवार का राज महल जो आज एक विशाल होटल में बदल चूका हे।

    गोगुन्दा अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध हे। यहां का गणेश मंदिर बहुत प्रसिद्ध हे। गोगुन्दा का गणगौर पर्व आदिवासियों में बहुत प्रसिद्ध है। गणगौर मेले के लिए यहां जिले भर से गरासिया और भील आदिवासी लोग आए थे। प्रसिद्ध जैन संत पुष्कर मुनि जी महाराज का जन्म पास के एक गाँव में ही हुआ था वह गांव सेमटल हे । पुष्कर मुनि जी की याद में एक कॉलेज और एक धर्मशाला बनवाई गई है। ये धर्मशाला एक पालीवाल ब्रामण ने बनवाई थी।

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Must Read

    spot_img