जैसलमेर व बीकानेर रियासतों में संबंध अच्छे नहीं थे एक-दूसरे के इलाके में लूटपाट करते थे। गणगौर के अवसर पर गढ़ीसर तालाब जाती गणगौर की सवारी पर बीकानेर द्वारा हमला कर दिया गया जिसमें जैसलमेर ने गणगौर तो बचा ली लेकिन ईसर की प्रतिमा नहीं बचा पाए। तब से जैसलमेर में अकेली गणगौर की सवारी अर्थात् बिना ईसर की सवारी चैत्र शुक्ल चतुर्थी को निकाली जाती है।
नाथद्वारा में गणगौर का पर्व उत्साह पूर्वक 4 दिनों तक मनाया जाता है। इन चारों दिन गणगौर की पोशाक के रंग बदले जाते हैं। जैसे-
इस 4 दिनों के उत्सव में श्रीनाथजी को भी संबंधित दिन के रंग की पोशाक पहनाई जाती है।