राजस्थान कई रहस्यों को समेटे हुए है। इसमें जोधपुर से 90 किलोमीटर दूर रणसी नामक गांव में बनी बावड़ी और महल भी शामिल है।

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 कहा जाता है कि इस बावड़ी और महल को भूत ने बनाया था।  बावड़ी को देखने और रिसर्च करने देश-दुनिया से लोग आते हैं।

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एक बार यहां के राजपूत राजा ठाकुर जयसिंह घोड़े पर सवार होकर रणसी गांव की ओर अपने सेवकों के साथ वहां के प्रसिद्ध गणगौर मेला देखने जा रहे थे। रास्ते में सेवकों से ठाकुर जयसिंह पीछे रह गए।

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रास्ते में एक तालाब को देखकर ठाकुर जयसिंह अपने घोड़े को पानी पिलाने के लिए तालाब के पास ले गए। इस रात के अंधेरे में जयसिंह को तालाब के किनारे एक आकृति दिखाई दी।

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वह आकृति देखते ही देखते एक आदमी के रूप में बदल गई। आकृति ने कहा- मैं भूत हूं। किसी शाप के कारण इस तालाब को नहीं छू सकता। मुझे भी पानी दीजिए।

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जयसिंह ने उसे पानी पिला दिया। ठाकुर के ऐसे व्यवहार को देखकर आकृति ने ऋण उतारने की बात की। इस पर राजा ने मेरे लिए एक गढ़, महल, पानी की एक बावड़ी के साथ ही एक सुंदर सा शहर बनवाना होगा।

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आकृति ने कहा कि आप निर्माण कार्य शुरू करें, दिन में जितना भी निर्माण कराएंगे वह रात में सौ गुना हो जाएगा, लेकिन मेरी एक शर्त है। यह रहस्य आप किसी को नहीं बताएंगे। जिस दिन यह रहस्य खुल जाएगा,

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उसी दिन मेरा काम खत्म हो जाएगा। अगले ही दिन से महल और बावड़ी का काम शुरू हो गया। इसकी इमारतें बनने लगीं, पूरे गांव में इसका शोर मच गया।

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रात में पत्थर ठोकने की रहस्यमयी आवाजें आने लगीं। रोज निर्माण कई गुना ज्यादा हो जाता।

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एक दिन जयसिंह की पत्नी ने इसका रहस्य पूछा तो ठाकुर ने उन्हें भी इस बारे में बताने से मना कर दिया। इस पर रानी रूठ गई और उसने अनशन करना शुरू कर दिया।

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 कई दिनों तक अनशन पर रहने के बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी। रानी की यह हालत देखकर राजा ने उसे पूरा रहस्य बता दिया। ऐसा करते ही बावड़ी का निर्माण रुक गया।

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इसके बाद सात मंजिला महल केवल दो ही मंजिल बन पाया और बावड़ी का अंतिम हिस्सा और दीवार भी अधूरी ही रह गई। यह आज भी उसी अवस्था में है।

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बावड़ी की गहराई 200 फुट से ज्यादा है। इसमें नक्काशीदार चौदह खंभे हैं और अंदर जाने के लिए 174 सीढ़ियां हैं।

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इसमें बड़े-बड़े पत्थर लॉक तकनीक से लगाए गए हैं। जो अधरझूल होने की वजह से गिरते भी नहीं हैं।

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