उदयपुर, जिसे अक्सर झीलों के शहर के रूप में जाना जाता है, न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए बल्कि अपने पारंपरिक व्यंजन, Rajasthani lal Maas के लिए भी प्रसिद्ध है। यह राजस्थानी मटन करी अपने मसालेदार स्वाद और गहरे लाल रंग के लिए प्रसिद्ध है, जो मथानिया मिर्च के उपयोग के माध्यम से विशिष्ट रूप से प्राप्त किया जाता है।

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Rajasthani lal Maas क्या है?
Rajasthani lal Maas का पारंपरिक मटन करी व्यंजन है जिसे तेज मसालों, लाल मिर्च और देसी घी या सरसों के तेल में पकाया जाता है। यह डिश आमतौर पर त्योहारों, खास मौकों या मेहमानों के स्वागत के समय बनाई जाती है। इसकी खासियत है इसकी लाल रंग की तीखी ग्रेवी, जो देगी मिर्च और मसालों से बनती है।
4 लोगो के लिए ( Rajasthani lal Maas )
मटन – 500 ग्राम (हड्डी सहित)
दही – 1 कप (फेंटा हुआ)
मथानिया लाल मिर्च – 8-10 (बीज निकालकर भिगोई हुई)
प्याज – 3 मध्यम (बारीक कटी हुई)
लहसुन – 10-12 कलियां (पेस्ट)
अदरक – 1 इंच (कद्दूकस या पेस्ट)
साबुत लाल मिर्च – 3-4
तेजपत्ता – 1
दालचीनी – 1 टुकड़ा
लौंग – 4-5
काली मिर्च – 5-6
हरी इलायची – 2
धनिया पाउडर – 1.5 चम्मच
जीरा – 1 चम्मच
हल्दी पाउडर – 1/2 चम्मच
नमक – स्वादानुसार
सरसों का तेल – 5-6 बड़े चम्मच
देसी घी – 1 बड़ा चम्मच (वैकल्पिक)
इस डिश की खास बात यह है कि इसमें टमाटर नहीं डाले जाते, बल्कि दही और मिर्च ही इसका बेस बनाते हैं। इसका स्वाद गहरा, तीखा और बेहद रसीला होता है,

Rajasthani lal Maas बनाने का तरीका
सबसे पहले पतीला लेंगे और उसमे तेल को गरम होने को रख देंगे। जिसे ही तेल गरम होता है। उसमे गरम मसला डालेंगे ( बिना पिशा हुआ )
गरम मसाला पक जाये उसके बाद प्याज डालेंगे। और 10 15 मिनट के लिए पकने देंगे। और उसके बाद लेसून और अदरक का टुकड़ा पीस के डालेंगे और इनको सही से मिक्स करेंगे। और फिर मटन को डालेंगे। और मटन को सही तरीके से हिलाएंगे और 15 से 20 मितान के लिए पकने देंगे।
और मटन जैसे ही पक जाये। उसके बाद दही डालेंगे। और बाद कश्मीरी लाल मिर्च डालेंगे। और गरम मसाला , स्वाद अनुसार नमक डालेंगे। और उसको सही तरीके से हिलाएंगे। और पानी डालेंगे। 5 से 10 मिनट के लिए पकने देंगे। और लास्ट बारीक़ कटा हुआ धनिया डालेंगे।

लाल मांस का स्वाद और परंपरा
Rajasthani lal Maas राजस्थान का एक पारंपरिक व्यंजन है, जो मटन, दही और मथानिया मिर्च के साथ तैयार किया जाता है। यह व्यंजन अपने तीखे और मसालेदार स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। उदयपुर में, इसे सरसों के तेल में पकाया जाता है, जो इसे एक विशिष्ट स्वाद प्रदान करता है।
यह रंग किसी रंग की मिलावट से नहीं, बल्कि विशेष मिर्च से आता है।लाल मांस को बेझिझक तीखा कहा जा सकता है, लेकिन इसमें स्वाद का संतुलन बना रहता है।यह डिश जल्दबाजी नहीं मांगती। इसे घंटों धीमी आँच पर पकाया जाता है, जिससे मटन पूरी तरह नर्म हो जाता है। लाल मांस को तेल में अच्छी तरह से भूना जाता है, जिससे उसमें मसाले अच्छी तरह समा जाते हैं
Rajasthani lal Maas खाने के फायदे
Rajasthani lal Maas उच्च गुणवत्ता वाले पूर्ण प्रोटीन का मुख्य स्रोत होता है, जिसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड मौजूद होते हैं। यह मांसपेशियों की मरम्मत, वृद्धि और शरीर की संपूर्ण कार्यक्षमता के लिए बेहद जरूरी होता है।लाल मांस हेम आयरन प्रदान करता है, जो शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित हो जाता है। यह आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन के निर्माण में सहायक होता है, जिससे एनीमिया (खून की कमी) से बचा जा सकता है।लाल मांस विटामिन B12 का एक मुख्य स्रोत है, जो तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने, डीएनए संश्लेषण और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है
।ज़िंक शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और घावों को जल्दी भरने में मदद करता है। यह बच्चों में वृद्धि और विकास के लिए भी आवश्यक हैलाल मांस में पाए जाने वाले क्रिएटिन और एल-कार्निटिन जैसे पोषक तत्व शारीरिक शक्ति, ऊर्जा, और मांसपेशियों की क्षमता को बढ़ाते हैं।लाल मांस में मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स जैसे विटामिन B6, नियासिन, और जिंक त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं
।पुरुषों में लाल मांस का सीमित सेवन टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के उत्पादन को संतुलित रखने में सहायक हो सकता है, जिससे यौन स्वास्थ्य और मांसपेशीय ताकत बनी रहती है।भूख को नियंत्रित करता हलाल मांस में मौजूद प्रोटीन और वसा की मात्रा इसे संतोषजनक आहार बनाती है, जिससे लंबे समय तक भूख नहीं लगती और ओवरईटिंग से बचा जा सकता है।
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