यह मंदिर बहुत प्राचीन समय का है। यह मन्दिरर राजस्थान के चित्तौड़ जिले में स्थित है। यह उदयपुर से लगभग 80 किलो मीटर दूर है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण स्थापित है। यह मदिर मण्डफिया गाव में स्थित है। यह मंदिर लोगो का विश्वाश और जीवनं प्रतीक है।

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सांवरिया मंदिर के स्थापना (श्री सांवरिया सेठ)
संत दया राम का एक समूह था, जिसके पास बहुत सी मूर्तियाँ थीं। एक बार, जब ओरंग ज़ेब के नेतृत्व में मुगल सेना मेवाड़ क्षेत्र में मंदिरों को नष्ट कर रही थी और इन मूर्तियों के बारे में पूछताछ कर रही थी, तो उन्हें उनका ठिकाना पता चला। दया राम ने मूर्तियों को एक खुले मैदान में एक बरगद के पेड़ के नीचे खोदकर दबा दिया
और कुछ समय वहीं बिताया। अंततः संत दया राम को स्वर्ग की प्राप्ति हुई। कई वर्षों बाद, 1840 में, मंडफिया गाँव में, भोला राम गूजर नामक एक चरवाहे ने सपना देखा कि बासौदा बांगुड़ में एक पेड़ के नीचे चार मूर्तियाँ दबी हुई हैं। सुबह उठने पर, उसने उस स्थान पर खुदाई की और वहाँ दबी हुई मूर्तियाँ पाईं।
चारों मूर्तियाँ एक जैसी थीं। यह सुनकर गाँव वाले इकट्ठे हुए और सबकी बातें सुनने के बाद, वे सबसे बड़ी मूर्ति को बासौदा गाँव ले गए। दुरसरी मूर्ति को भी खुदाई करके वहाँ स्थापित किया गया। सबसे छोटी मूर्ति को भोला राम ने मंडफिया गाँव ले जाकर अपने घर में स्थापित किया और पूजा-अर्चना की और चौथी मूर्ति को निकलते वक्त वह मूर्ति खंडित हो गए और उस मूर्ति को वहां पर दफना दी गई। और तीनो मूर्तियों के लिए मंदिर बनाये गए।

लोगो का विश्वाश (Shree Sanwariya Seth)
इस मंदिर लोग दूर दूर से दरसन कर ने आते है। जो काम जीवन में नहीं होरे है। वो काम सांवरिया जी का नाम लेते ही होजाते है।और लोगो को बिजनेस का पार्टनर बनाते है। और और बिजनेस में बढ़ोतरी होती है। श्री सांवरिया सेठ भक्तो की जोली भर देते है यहाँ श्री सांवरिया सेठ में पास हजारो लोग आते है।
यह Shree Sanwariya Seth पर लोग को इतना विस्वाश है की चांदी,सोना ,लाखो पैसे चढ़ाते है। यह पर दान पति को 15 दिन में खोला जाता था और उसने करोड़ो पैसे और सोना चांदी निकले थे और अब तो लोगो का विस्वास और प्रेम इतना है। की अब दान पति को हर सफ्ताह खोला जाता है।लोगो के मन में श्री सांवरिया सेठ में बारे में प्यार और विस्वाश भक्ति का प्रेम है। और लोग सांवरिया सेठ के नाम से बिजनेस चलते है।
मंदिर की सुंदरता और वातावरण (श्री सांवरिया सेठ)
मंदिर की सुंदरता काफी सुन्दर है। यहाँ पर Shree Sanwariya Seth में मंदिर की दीवारों वर श्री कृष्ण भगवान की तस्वीर लगी हुए है और यहाँ का वातावरण भी काफी अच्छा है। यह मंडी संगमर और और सुर्ख पथरो से बना हुआ है। मंदिर में विराजमान श्री सांवरिया सेठ की मूर्ति बहुत मनोहारिक है
और Shree Sanwariya Seth का श्रींगार हर रोज किया जाता है और जिसे Shree Sanwariya Seth बहुत प्रिय लगते है यहाँ का वातावरण शांत एवं पवित्र है। जब यह सुबह सुबह आरती होती है तो मधुर धुवनि ,भक्तो के भजन और मंदिर के चोरो और गूजती घंटिया की आवाज मन को शांति एवं सुकून देती है। मंदिर के चोरो और फैला हरियाली और स्वच्छता मंदिर के वातावरण मंदिर को और भी सुंदरता देता है। यहाँ पर हजारो लोग दर्सन करने आता है और त्योहारों पर लोगो की लाखो संख्या हो जाती है ।
समय और आरती (श्री सांवरिया सेठ)
Shree Sanwariya Seth मंदिर सुबह 5 बजे से रात्रि 11 बजे तक खुलता है। मंदिर दिनभर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है, लेकिन कुछ समय के लिए श्रृंगार और भोग की तैयारियों के दौरान दरवाज़े बंद कर दिए जाते है।
श्री सांवरिया सेठ की आरती और आरती का समय
मंगला आरती प्रातः 5:30 बजे
श्रृंगार दर्शन प्रातः 7:00 बजे (भोग के बाद)
राजभोग आरती दोपहर 12:15 बजे
उत्थापन आरती शाम 4:30 बजे
संध्या आरती शाम 7:00 बजे
शयन आरती रात्रि 10:30 बजे
हर गुरुवार, पूर्णिमा, और एकादशी के दिन मंदिर में विशेष पूजा होती है।जन्माष्टमी, रामनवमी, और दीवाली पर यहाँ बहुत बड़ी संख्या में भक्त एकत्र होते हैं, और इन दिनों भव्य झांकी व अलंकरण किए जाते हैं।
Shree Sanwariya Seth जी के यहाँ पर दर्शन करने जरूर आये। और यह आने पर दुःख दर्द सब भूल जायेंगे।
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