मनुष्य जीवन में 5 प्रकार के ऋण होते है
ऐसे चुकाने के लिए कन्या का आदरपूर्वक व
िवाह ( कन्यादान ) करना चाइये
माता ऋण
माता ऋण
इसके लिए श्राद तर्पण आदि कर्मो का श्रद्वापूर्वक पालन करना चाइये
पितृ ऋण
पितृ ऋण
ऐसे समाज को शिक्षा देकर और ज्ञान का प्रसार करके चुकाना चाइये।
गुरु ऋण
गुरु ऋण
ऐसे कृषि का कार्य कर या वर्षारोपण द्वारा धरती के प्रति कृतज्ञता जताकर चुकाया जा सकता है
धरती ऋण
धरती ऋण
ऐसे सन्तानो का पालन पोषण और योग्य संतान करके चुकाया जा सकता है।
पिता ऋण
पिता ऋण
सिर्फ सिर जुकाने से ईस्वर नहीं मिलते मन का जुकना जरुरी है।