मारवाड़ी परिवार में बात होती है - सिर्फ धंधे की

जहां रोटी में भी बिज़नेस होता है – मारवाड़ी सोच की बात"

 शादी में भी मिठाई से पहले होता है सवाल- धंदा कैसे चल रा है।

 मारवाड़ी परिवार में हर उम्र का व्यक्ति बिज़नेस सोच रखता है।

बातों का वजन – गोल्ड से भारी।

जहाँ टाइमपास नहीं, टाइम-इन्वेस्ट होता है

 जहां मारवाड़ी बैठ जाए – वहां से धंधा शुरू हो जाता है