कैसे बना खाटू श्याम जी का मंदिर? माना जाता है कि कलयुग काल में उनका सिर राजस्थान के खाटू गांव में मिला था।
कहा जाता है कि यह अद्भुत घटना तब घटी जब वहां खड़ी गाय के थन से दूध निकलने लगा।इस चमत्कारी घटना को देखकर गांव वालों ने वहां खुदाई करके देखा।
तो यहां खाटू श्याम जी का सिर मिला, अब लोगों में यह दुविधा शुरू हो गई कि इस सिर का क्या किया जाए।इसलिए बहुत विचार-विमर्श के बाद, उन्होंने सिर को पुजारी को सौंपने का फैसला किया।
इसी बीच एक बार खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मंदिर बनवाने और मंदिर में शीश सुशोभित करने की प्रेरणा मिली।इसके बाद उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण किया गया और कार्तिक माह की एकादशी को उनके शीश को मंदिर में सजाया गया
जिसे बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।मूल मंदिर का निर्माण रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने करवाया था। ये श्याम बाबा का चमत्कार है.
भारत के राजस्थान राज्य के सीकर से 65 कि.मी की दूरी पर खाटू के छोटे से गाँव में खाटूश्याम मंदिर एक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर है।यह मंदिर में हर साल भर 85 लाख से ज्यादा भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
भारत के राजस्थान राज्य के सीकर से 65 कि.मी की दूरी पर खाटू के छोटे से गाँव में खाटूश्याम मंदिर एक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर है।यह मंदिर में हर साल भर 85 लाख से ज्यादा भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
पर्यटक मंदिर की सुंदरता का आनंद लेने और भगवान से आशीर्वाद लेने के लिए दर्शन करते हैं। खाटू श्याम जी मंदिर का निर्माण 1027 ईस्वी में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी निरामला कंवर ने करवाया था।
तीर्थयात्रियों के विश्वास और मान्यता के मुताबिक है यहाँ आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं । खाटू श्याम जी को कलयुग का सबसे मशहूर भगवान माना जाता है। हिंदू धर्म में खाटू शम जी को कलयुग में कृष्ण का अवतार माना गया है।
खाटूश्याम मंदिर का निर्माण सबसे पहले 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने करवाया था। बाद में, 1720 ईस्वी में, मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और एक रईस- दीवान अभयसिंह द्वारा पुनर्निर्मित किया गया।
गर्भगृह का निर्माण किया गया और मूर्ति की स्थापना की गई। यह वह संरचना भी है जो आज भी कायम है। खाटूश्याम मंदिर का इतिहास और पूरी कहानी महाभारत से मिलती है।