इन्दिरा गांधी नहर जल परियोजना

यह परियोजना पूर्ण होने पर विश्व की सबसे बड़ी परियोजना होगी इसे प्रदेश की जीवन रेखा/मरूगंगा भी कहा जाता है। पहले इसका नाम राजस्थान नहर था। 2 नवम्बर 1984 को इसका नाम इन्दिरा गांधी नहर परियोजना कर दिया गया है। 1958 में इन्दिरा गांधी नहर परियोजना का निर्माण कार्य की शुरूआत हुई

 गंगनहर परियोजना

यह भारत की प्रथम नहर सिंचाई परियोजना है। राजस्थान के पश्चिमी भागों में वर्षा बहुत ही कम होने के कारण तत्कालीन बीकानेर के महाराजा श्री गंगासिंह ने गंगनहर का निर्माण करवाया था। गंगनहर की आधारशिला फिरोजपुर हैडबाक्स पर 5 सितम्बर 1921 को महाराजा गंगासिंह द्वारा रखी गई। 26 अक्टूबर 1927 को तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने श्री गंगानगर के शिवपुर हैड बॉक्स पर उद्घाटन किया था।

भरतपुर नहर परियोजना

सन् 1906 में पेयजल व्यवस्था हेतु तत्कालीन भरतपुर नरेश के प्रयासस्वरूप भरतपुर नहर परियोजना का निर्माण किया गया लेंकिन पूर्ण कार्य 1963-64 में हुआ। इस नहर को पश्चिम यमुना से निकलने वाली आगरा नहर के सहारे 111 कि.मी. के पत्थर से निकाला गया। यह कुल 28 कि.मी. (16 उत्तर प्रदेश + 12 राजस्थान) लम्बी है।

गुडगाँव नहर परियोजना

यह नहर हरियाणा व राजस्थान की संयुक्त नहर है। इस नहर के निर्माण का लक्ष्य यमुना नदी के अतिरिक्त पानी का मानसून काल में उपयोग करना है। 1966 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ एवं 1985 में पूरा हुआ। यह नहर यमुना नदी में उत्तरप्रदेश के औंखला से निकाली गई है।

चम्बल नदी घाटी परियोजना

राजस्थान एवं मध्यप्रदेश राज्यो के सहयोग से बनी यह परियोजना पेयजल प्राप्ति के लिए 1952 -54 में प्रारम्भ की गई थी। पेयजल की दृष्टि से परियोजना का 50 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान का था, सर्वप्रथम परियोजना की शुरूआत 1943 में कोटा के निकट एक बाँध बनाये जाने के रूप में हुई।

भाखडा़ नांगल परियोजना

भाखडा नांगल परियोजना बहुउद्धेशीय नदी घाटी योजनाओं में से भारत की सबसे बडी़ योजना है। इसकी जल भराव क्षमता एक करोड़ क्यूबिक मीटर है। इसकी लम्बाई 96 कि.मी. है। यह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश की संयुक्त परियोजना है।

व्यास परियोजना व पोंग बाँध

रावी और व्यास नदियों के जल का उपयोग करने के लिये पंजाब, हरियाणा और राजस्थान द्वारा सम्मिलित रूप से बहुउद्धेशीय परियोजना प्रारम्भ की गई। इस परियोजना को दो चरणों में पूरा किया गया। प्रथम चरण में व्यास सतलज लिंक नहर के रूप में तो द्वितीय चरण पोंग बाँध के रूप में बना है।

माही बजाज सागर परियोजना

बोरखेड़ा ग्राम के पास माही नदी पर माही बजाज सागर बाँध बनाया गया है जो आदिवासी क्षेत्र से लगभग 20 कि.मी. दूर है। यह राजस्थान एवं गुजरात की संयुक्त परियोजना है। माही बजाज सागर परियोजना के अन्तर्गत बना यह बाँध गुजरात एवं राजस्थान सरकार के वर्ष 1966 में एक अनुबंध / समझौते का परिणाम है। केन्द्रीय बाँध का जल संग्रहण क्षेत्र 6240 वर्ग कि.मी. है

जवाई बाँध परियोजना

इसे मारवाड़ का ‘अमृत सरोवर‘ भी कहते हैं। सन् 1946 में जोधपुर रियासत के महाराजा उम्मेद सिंह ने पाली में सुमेरपुर एरिनपुरा के पास स्टेशन से 2.5 कि.मी. की दूरी पर जवाई बाँध का निर्माण करवाया था। इसे 13 मई 1946 को शुरू करवाया, 1956 में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ।

जाखम परियोजना

जाखम नदी के पानी का उपयोग करने हेतु राज्य सरकार द्वारा 1962 में इस परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गयी थी तथा 1986 में इसमें जल प्रवाहित किया गया। इस परियोजना का पूर्ण कार्य वर्ष 1998-99 में पूरा हो गया है। यह परियोजना चित्तौड़गढ़ – प्रतापगढ़ मार्ग पर अनूपपुरा गांव में बनी हुई है।

सिद्धमुख नोहर परियोजना

इसका नाम अब राजीव गांधी नोहर परियोजना है। नाबार्ड के 21.44 करोड़ रूपये के वित्तीय सहयोग से 27.53 करोड़ रूपये की इस उपयोजना का प्रारम्भ इसका शिलान्यास 5 अक्टूबर 1989 को राजीव गांधी ने भादरा के समीप भिरानी गांव से किया। रावी-व्यास नदियों के अतिरिक्त जल का उपयोग लेने के लिए भाखड़ा मुख्य नहर से 275 कि.मी. लम्बी एक नहर निकाली गयी है।

ओराई सिंचाई परियोजना

इसमें चित्तौड़गढ़ जिले में भोपालपुरा गांव के पास ओराई नदी पर एक बांध का निर्माण किया गया। इस परियोजना का निर्माण कार्य सन् 1962 में प्रारम्भ होकर सन् 1967 में पूर्ण हो गया। मुख्य बाँध नदी के तल से 20 मीटर ऊँचा है एवं इसकी भराव क्षमता लगभग 3810 लाख घनमीटर है।

मोरेल बाँध परियोजना

सवाईमाधोपुर तहसील से लगभग 16 कि.मी. दूर मोरेल नदी पर मिट्टी का एक बाँध बनाया गया है।

पांचना परियोजना

राजस्थान के पूर्वी जिले करौली के गुड़ला गाँव के निकट पांच नदियों के संगम स्थल पर बने इस बाँध में भद्रावती बरखेड़ा, अटा, आची तथा भैसावट नदी के मिलने पर इसका नाम पांचना बाँध रखा गया है। बालू मिट्टी से बने इस बाँध की उंचाई 25.5 मीटर निर्धारित कर दी गई। इसकी जल ग्रहण क्षमता लगभग 250 क्यूसेक है।

नर्मदा परियोजना

नर्मदा बाँध परियोजना मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है। नर्मदा जल विकास प्राधिकरण द्वारा नर्मदा जल में राजस्थान का हिस्सा 0.50 MAF (मिलियन एकड़ फीट) निर्धारित किया गया है। इस जल को लेने के लिए गुजरात के सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नहर (458 कि.मी. गुजरात + 75 कि.मी. राजस्थान) निकाली गई है।