इंदरगढ़ की प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर अब खतरे में है। आसपास हो रहे अतिक्रमण से धरोहर की नींव कमजोर होती जा रही है।
वे लगातार इस ऐतिहासिक धरोहर को अपनी मनमाने तरीके से तोड़ फोड़ कर मूल ढांचे को ही क्षति पहुंचा रहे हैं। इतना ही नहीं दुर्ग के अंदर खजाने की खोज में जुटे तमाम लोगों ने भी इस दुर्ग को जमकर हानि पहुंचाई है।
राजा बलवंत सिंह के पुत्र इंदर सिंह ने 1650 ईसवी में इस दुर्ग का निर्माण कराया था। राजा इंदर सिंह के नाम पर ही इंदरगढ़ का नामकरण हुआ था।
किला जनता के लिए बंद है क्योंकि कोई भी इसे देखने नहीं आता। आपको आस-पास के स्थानीय लोगों से इसे आपके लिए खोलने के लिए कहना होगा।
पर्यटक गतिविधि आधिकारिक तौर पर खुली नहीं है, इसलिए आप उस व्यक्ति को जो चाहें दे सकते हैं जो आपको ऐतिहासिक स्मारक के चारों ओर घुमाता है।