दिलवाड़ा जैन मंदिर मंदिर राजस्थान की अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित जैनियों का सबसे सबसे सुंदर तीर्थ स्थल है।
यह मंदिर अपनी जटिल नक्काशी और हर कोने से संगमरमर से सजे होने के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर बाहर से बहुत ही सामान्य दिखता है
जब आप इस मंदिर को अंदर से देखेंगे तो इसकी छत, दीवारों, मेहराबों और स्तंभों पर बनी हुई डिजाइनों को देखकर हैरान रह जायेंगे।
यह सिर्फ जैनियों का तीर्थ स्थल ही नहीं बल्कि एक संगमरमर से बनी एक जादुई संरचना है। जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को बार-बार यहां आने पर मजबूर करती है।
जैन मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी ईस्वी में विमल शाह द्वारा करवाया गया था और यह ढोलका के जैन मंत्रियों, वास्तुपाल-तेजपाल द्वारा डिजाइन क्या गया था।
दिलवाड़ा मंदिर में पाँच मंदिर बने हुए हैं जिनके नाम है विमल वसाही, लूना वसाही, पित्तलहर, पार्श्वनाथ और महावीर स्वामी मंदिर है।
यह मंदिर क्रमश: भगवान आदिनाथ, भगवान ऋषभभो, भगवान नेमिनाथ, भगवान महावीर स्वामी और भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित हैं।