“गणेश जी का जन्म और विवाह तो ग्रंथों में है… पर अंत कहीं नहीं मिलता!” 

“शायद इसलिए… क्योंकि उनका अंत कभी हुआ ही नहीं।” 

गणेश जी सिर्फ़ एक रूप नहीं… बल्कि 16 शक्तियों के स्वामी हैं।” 

“मासूमियत और शक्ति का संगम।” 

“श्रद्धा और विश्वास का रूप।” 

“साहस और रक्षा के अधिपति।” 

“ऊर्जा और माँ शक्ति के साथी।” 

“ज्ञान और वेदों के स्वामी।” 

“हर मनोकामना पूरी करने वाले।” 

“हर रुकावट को दूर करने वाले।” 

“तुरंत कृपा बरसाने वाले।”

“धन और समृद्धि देने वाले।”

“आनंद और कलाओं के स्वामी।”