पुष्कर – श्रद्धा, रंग और शांति की नगरी" 

त्रिकालदर्शी बर्मा जी का मंदिर 

शांत सरोवर में उतरती श्रद्धा की जलधारा 

52 घंटों की सीढ़ियाँ — आत्मा को शांति देती यात्रा। 

गालियाँ रंग-बिरंगे कपड़े, गहनों और हाट बाजारों से सजी।

सावित्री माता की पहाड़ी — हर कदम पर भक्ति की ऊर्जा। 

पुष्कर — जहाँ समय भी लोककला और रंगों से सजा होता है। 

हर त्योहार यहाँ रंगों की बौछार बन जाता है 

हर मुसाफिर से दिल से कहा जाता है — "पधारो म्हारे देश!"