विजय स्तम्भ परिसर स्थित समिद्धेश्वर महादेव मंदिर, जहां इनके तीनों स्वरूप ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिमूर्ति के रूप में विराजमान हैं.

यहां एक साथ ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिमूर्ति स्वरूप में विराजमान हैं. माना जाता है

इनके तीनों स्वरूपों को एक साथ दर्शन करने मात्र से ही जन्म-जन्मांतर के पाप मुक्त हो जाते हैं

ऐसे में पवित्र सावन मास में हर कोई श्रद्धालु मनचाहा वरदान पाने के लिए यहां दूर-दूर से आते हैं

यहां आने वाले में विदेशी सैलानियों की भी लंबी कतार देखने को मिल रही हैं. हर-हर महादेव के नारों से पूरा शहर भक्तिमय हो रहा है.

मंदिर के प्रवेश द्वार पर काला पत्थर लगाया गया है. देश में इस प्रकार के दो ही मंदिर है. पहला महाराष्ट्र के एलिफेंटा  और दूसरा चित्तौड़ दुर्ग पर

तीन प्रवेश द्वारों युक्त इस मंदिर में अर्ध मंडप, अलंकृत सभा मंडप, अंतराल और विशाल गर्भगृह है

जो त्रिगुणों का उनके तीन रूपों का प्रतीक है. मुख्य द्वार के सामने नंदी विराजित हैं. मंदिर के बाहर अलौकिक मूर्तिया शिल्पांकित की गई हैं

, जिन्हें देख कर यहां आने वाले पर्यटक अभिभूत रह जाते हैं. कहा जाता है कि सच्चे मन से यहां जो भी पूजा करता है भगवान शिव उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं.