श्री शनि महाराज (आली), कपासन की कहानी बताया जाता है कि मंदिर में स्थापित शनि देव की मूर्ति मेवाड़ के महाराणा स्व. श्री उदयसिंह अपने हाथी की ओदी पर रखकर उदयपुर की ओर ले जा रहे थे.
बहुत सालों के बाद एक दिन इस इलाके के ऊंचनार खुर्द के रहने वाले जोतमल जाट के खेत में बेर की झाड़ी के नीचे शनिदेव की मूर्ति का कुछ हिस्सा प्रक प्रकट हुआ.