जाट के खेत के नीचे मिली शनिदेव की मूर्ति, बना राजस्थान का सबसे बड़ा शनि मंदिर हैं 

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के कपासन उपखण्ड के आली गांव में शनि महाराज का प्रसिद्ध मंदिर है

हर सप्ताह को शनिवार और अमावस्या पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और शनिदेव की कृपा पाने के लिए अनुष्ठान करते हैं

वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर यहां पर तीन दिवसीय मेला भी लगता है, जिसमें लाखों लोग पहुंचते  हैं.

श्री शनि महाराज (आली), कपासन की कहानी बताया जाता है कि मंदिर में स्थापित शनि देव की मूर्ति मेवाड़ के महाराणा स्व. श्री उदयसिंह अपने हाथी की ओदी पर रखकर उदयपुर की ओर ले जा रहे थे.

लेकिन इस स्थान पर पहुंचने पर मूर्ति गायब हो गयी और बहुत ढूंढने के बाद भी नहीं मिली. समय बीतता गया.

बहुत सालों के बाद एक दिन इस इलाके के ऊंचनार खुर्द के रहने वाले जोतमल जाट के खेत में बेर की झाड़ी के नीचे शनिदेव की मूर्ति का कुछ हिस्सा प्रक प्रकट हुआ.

स्थानीय  लोगों ने इसकी पूजा कर तेल प्रसाद बॉलभोग अर्पित किया. कोशिश की गयी की मूर्ति को जमीन से निकाल लिया जाए. लेकिन ये संभव नहीं हुआ.

शनिदेव की महिमा ऐसी थी की अचानक गांव में एक संत महात्मा आए. स्थानीय लोगों ने उन्हे मूर्ति के बारे में बताया तो वो भी मूर्ति के दर्शन के लिए पहुंचे

मूर्ति को महात्मा ने जमीन से ऊपर की तरफ खींचा तो ज्यादातर हिस्सा बाहर गया. कुछ देर बाद ये महात्मा भी गायब हो गये. तब से इसी स्थान पर ये मंदिर बना है.